क्यों जरूरी है Assets Re-Balancing करना?
Investor को अपने Investment पर एक स्थिरता के साथ और ज्यादा से ज्यादा Return प्राप्त करने के लिए अपने Portfolio में Debt Investment और Equity Investment का एक Fixed अनुपात Maintain करना चाहिए।
Investor द्वारा जब भी Investment किया जाता है, तो उस समय Assets Re-Balancing करना एक बहुत ही महत्वपूर्ण काम होता है, लेकिन Investment की दुनिया में अक्सर Investor द्वारा इस प्रक्रिया को नजरअंदाज कर दिया जाता है।
Investment की दुनिया में Investor को यह सलाह दी जाती है कि Equity और Fixed Investment Option में Investment करते समय Investor अपने सरल दृष्टिकोण को छोड़ दे और जिस-जिस तरह की प्रक्रिया को करते हुए Investment से अधिक से अधिक Return प्राप्त किया जा सकता है, उन सभी प्रक्रिया को Follow करना चाहिए, तभी Investors द्वारा Investment की दुनिया में ज्यादा से ज्यादा Rate of Return Earn किया जा सकता है।
Mutual Fund Investors के लिए Equity Funds से Debt Funds में और Debt Funds से Equity Funds में Investment को Move करना तुलनात्मक रूप से बहुत ही सरल होता है।
Investor को अपनी वित्तीय जरूरतों और अपने द्वारा किए जाने वाले Investment Amount पर जोखिम लेने की क्षमता के आधार पर अपने Investment Amount का एक निश्चित अनुपात Equity Funds में और Fixed Income Investment Option में Investment करना चाहिए। उसके बाद में Investor को प्रतिवर्ष अपने Portfolio को Re-Balance करना चाहिए।
What is Portfolio Re-Balancing?
Portfolio को Re-Balance करने का मतलब है कि Investor ने Equity Funds और Debt Funds में अपने Investment Amount का जितना Allocation किया है, यदि उससे मिलले वाला Return, Investor के Desired Ratio (इच्छित अनुपात) जितना नहीं है, तो फिर Investor को अपने उस Portfolio में इतना बदलाव करना चाहिए जिससे वह Desire Ratio प्राप्त किया सके।
अब Portfolio को Re-Balance करने के लिए हो सकता है कि Investor को अपने Equity Funds में Invested Amount में से, कुछ Amount, Debt Funds में Invest करना पड़े या इसके विपरीत Debt Funds में Invested Amount में से, कुछ Amount, Equity Funds में Invest करना पड़े।
Investment से ज्यादा से ज्यादा Profit कैसे Earn करें?
जब Equity Funds में Fixed Income Funds की तुलना में ज्यादा तेजी से वृद्धि होती है, जैसा कि Investors ज्यादातर समय उम्मीद करते हैं तो उस समय Investor को अपने कुछ-कुछ Equity Funds को बेचना चाहिए और उससे होने वाली Income को Fixed Income Investment में Invest कर देना चाहिए ताकि Desire Rate of Return प्राप्त किया जा सके।
और इसी तरह से जब Equity Funds में गिरावट प्रारंभ होती है तब भी Investor को अपने कुछ-कुछ Fixed Income Assets को बेचना चाहिए और उससे होने वाली Income को Equity Funds में Invest कर देना चाहिए। इस प्रक्रिया को करने से Investors को कुछ ही समय में ज्यादा से ज्यादा Profit मिल जाता है।
क्योंकि Market का नियम है और Experts ऐसा मानते हैं कि Share Market में कभी भी परिस्थिति स्थिर नहीं रहती है, अर्थात जिस Share के मूल्यों में मंदी के दौर में कमी हुई है, वह Share कम से कम उस मूल्य तक तो पुन: जाएगा। इसलिए यदि Investor ने मंदी के दौर में Equity में Investment किया है, तो जब भी Share की Price वापस से उस स्तर तक जाएगी, जहाँ से वह Price गिरना प्रारंभ हुई थी, तो निश्चित ही Investor को लाभ होगा।
इसलिए Market में Investor द्वारा यह अंदाजा लगाना बहुत ही मुश्किल है कि कौनसा Share, कब तक के लिए Same Price पर करकरार रहेगा।
लेकिन यदि Investor द्वारा समय-समय पर अपने Portfolio को Re-Balance किया जाए, तो Market में आने वाली तेजी के समय में Investor द्वारा अच्छा Return कमाया जा सकता है।
इसलिए जब भी Equity Funds में गिरावट प्रारंभ होती है, उस समय तक यदि Investor ने Assets Re-Balancing की होती है, तो निश्चित ही ऐसे Investor ज्यादा से ज्यादा Profit को एक Safer Assets में Move कर चुके होते हैं।
Assets Re-Balancing का वास्तविक लाभ उस समय नजर आता है, जब Market गिरना शुरू होता है। उस समय Investor के Portfolio में जितना Amount, Equity Funds में Invested है, उसकी Value में भी गिरावट होती है, लेकिन Equity Funds का वह Profit जो Investor ने Equity Funds में होने वाली तेजी के दौर में, Debt Funds में Move कर दिया था, उसमें किसी तरह की कोई गिरावट नहीं होगी। इसीलिए Assets Re-Balancing की जाती है।
Assets Re-Balancing का अन्य विकल्प क्या है?
Assets Re-Balancing के Concept को Implement करना कुछ Investors के लिए जटिल हो सकता है क्योंकि इसके लिए Investor को कभी-कभार अपने Portfolio को देखना होता है और यह अंदाजा लगाना होता है कि मिलने वाला Return, Desire Return से कम तो नहीं है, यदि ऐसा है तो फिर आवश्यकता के आधार पर Funds को बेचना या खरीदना भी पड़ता है।
यदि यह प्रक्रिया किसी Investor को जटिल लगती है या उन्हे इस प्रक्रिया को Follow करने में समस्या होती है, तो फिर ऐसे Investor के लिए इसी Same Result को प्राप्त करने के लिए एक दूसरा Investment Option भी उपलब्ध है, जिसे Balanced Funds के नाम से जाना जाता है। Balanced Funds को Hybrid Funds के नाम से भी जाना जाता है।
Balanced Funds Investment Option और कुछ नहीं है, बल्कि उपरोक्त Discussion में जो काम एक Investor अपने Portfolio को Manage करने के लिए के लिए स्वंय करते हैं, वह काम Balanced Funds उस Investor की और से स्वयं कर लेता है और Investor को अपने Portfolio में किसी तरह का परिवर्तन करने की जरूरत नहीं होती है।
Balanced Funds ऐसे Investor के लिए अच्छा Investment Option है, जो अपने Portfolio को स्वयं अपने स्तर पर Manage नहीं कर सकते हैं या उन्हे इतना पर्याप्त ज्ञान नहीं होता है या जिनके लिए समय ज्यादा महत्वपूर्ण होता है।
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