What is a Personal Loan – Personal Loans भी किसी Bank या NBFC (Non-Banking Financial Company) जिसे हम Private Finance भी कहते हैं, द्वारा प्रदान किया जाने वाला एक प्रकार का Loan है।
ये Loans सामान्यत: General Purpose Loans होते हैं जिन्हें आप किसी Instant Financial Requirement को पूरा करने के लिए ले सकते हैं क्योंकि इस Loan को लेने के लिए आपको किसी भी अन्य Loan की तुलना में कम से कम Documents की जरूरत होती है और Minimum Formalities करनी पड़ती हैं।
इसलिए यदि आप इस तरह के Loan के लिए Eligible हैं, तो ये Loan Approve होने के बाद काफी तेजी से Process हो जाता है। यानी यदि आप Eligible हैं और सभी Documentations पूरे कर देते हैं तो मात्र एक सप्ताह के अन्दर आपका Personal Loan आपके Bank A/c में Credit हो जाता है।
सामान्यत: Personal Loan किसी Instant Requirement को Fulfill करने के लिए ही लिया जाता है। लेकिन ऐसा हमेंशा जरूरी नहीं होता। आप अपने Personal Loan को अपने घर को Renovate करने के लिए Use कर सकते हैं, अपने परिवार में किसी की Marriage से सम्बंधित Expenses को Manage करने के लिए कर सकते हैं, किसी Family Vacation के लिए Use कर सकते हैं, अपने बच्चे की Education के लिए अथवा किसी महंगे Electronic Gadget या Home Appliance के लिए Use कर सकते हैं अथवा किसी Medical Expense या Emergencies के लिए भी Use कर सकते हैं।
आप अपने Personal Loans का उपयोग अपने Business में कर सकते हैं या अपनी Car की Repairing के लिए अथवा किसी नए घर को खरीदने के लिए उसका Down Payment करने के लिए भी कर सकते हैं। यानी Personal Loan का उपयोग आप कैसे करेंगे, Loan लेते समय आपको Bank या Lender Financial Institution को ये बताना जरूरी नहीं होता। चलिए, Personal Loan को थोड़ा और अच्छी तरह से समझते हैं।
Personal Loans are Unsecured
Personal Loan एक तरह का Unsecured Loan होता है। यानी इस तरह का Loan लेने के लिए आपको किसी भी तरह के Guarantee की जरूरत नहीं होती ना ही आपको Bank के पास कुछ गिरवी रखना पड़ता है। इसलिए यदि आप Personal Loan लेकर Default करते हैं, तो Bank के पास आपकी कोई ऐसी चीज नहीं होती जिसे बेचकर वह इस Loan को आप से वसूल कर सके।
लेकिन इसी वजह से इस तरह का Personal Loan देने के लिए सभी Financial Institutions के Rules and Regulations काफी Strict होते हैं साथ ही Personal Loan पर लगाया जाने वाला Interest Rate भी काफी ज्यादा होता है ताकि यदि आप अपने Personal Loan की शुरूआत के कुछ EMIs भी Pay कर दें, तो Bank का ज्यादातर Loan उनके पास कम से कम समय में पहुंच जाए और उन्हें केवल Interest का ही Risk रहे।
हालांकि यदि आप Personal Loan को भी Default करते हैं, तब भी Lender Financial Institution आप पर कानूनी कार्यवाही तो कर ही सकता है साथ ही Default करने की वजह से आपका CIBIL Score भी खराब होता है जिसकी वजह से आपको भविष्य में किसी अन्य मद में किसी अन्य तरह का Loan मिलने में काफी दिक्कत आती है फिर चाहे आपने गलती से ही Default क्यों न कर दिया हो या आपने मात्र 1 रूपए का ही Default क्यों न किया हो।
इसलिए बेहतर यही है कि आप कोई भी Loan काफी सोंच समझकर ही लें और उसे पूरी तरह से Repayment करें ताकि यदि कभी भविष्य में आपको फिर से Loan की जरूरत हो, तो आपका Loan आसानी से Approve हो सके। साथ ही Loan को Successfully Repayment करने का सबसे बड़ा फायदा यही होता है कि जब एक बार आप एक Loan को Successfully Repay कर देते हैं, उसके बाद अगला Loan लेने में आपको बिल्कुल भी मेहनत नहीं करनी पड़ती बल्कि Loan देने के लिए आपको कई Banks व NBFCs से सामने से Call आते हैं।
क्योंकि Successfully Loan Repayment कर देने की स्थिति में आपका CIBIL Credit Score काफी अच्छा हो जाता है और Financial Institutions को किसी नए व्यक्ति को Loan देने की तुलना में आपको Loan देने में कम Risk महसूस होता है क्योंकि आपने अपना पिछला Loan Successfully Repay कर दिया था। साथ ही अगली बार जब आप Loan लेते हैं, तब आप Interest Rate कम करने के लिए Bargaining भी कर सकते हैं और अक्सर दूसरी बार Loan लेने पर आपको पहले की तुलना में Lower Interest Rate Offer किया जाता है क्योंकि आप एक Valuable Loan Payer होते हैं।
Personal Loans have a Fixed Limit
सामान्यत: किसी भी Bank या NBFC द्वारा किसी भी व्यक्ति को Provide किए जा सकने वाले Personal Loan की एक Range होती है और उस Range से अधिक या कम Personal Loan Allow नहीं किया जाता। ये Range Bank/NBFC स्वयं तय करता है और Loan लेने वाले की Income, Credit Rating, पहले से लिए गए अन्य Loan आदि के आधार पर ही Bank द्वारा तय किया जाता है कि किसे कितना Personal Loan Approve किया जा सकता है।
यदि आपकी Monthly Income ज्यादा हो, अधिक Secure and Sure हो, आपने पहले से किसी भी तरह का कोई अन्य Loan न ले रखा हो अथवा अपने पिछले Loan को Successfully Repay कर दिया हो, आपकी Credit Rating अच्छी हो, तो उस स्थिति में आपको Bank द्वारा आपको Personal Loan की Highest Limit तक का Loan Lowest Possible Interest Rate पर मिल सकता है। लेकिन स्थिति विपरीत होने पर आपको Minimum Allowable Loan Amount के लिए भी Highest Interest Rate देना पड़ सकता है।
Personal Loans usually have Fixed Interest Rates
किसी भी Financial Institution से Loan लेने पर वह Financial Institution यानी Bank या NBFC मूलत: आपको दो तरीकों से Interest Charge कर सकता है जिसे Flat Rate व Reducing Rate of Interest (RRI) या Annual Percent Rate (APR) कहते हैं।
इन दोनों ही तरीकों में Reducing Balance Rate में Interest कम देना पड़ता है। यानी यदि आपको कोई Bank 12% Reducing Balance Rate व कोई NBFC 12% Flat Interest Rate पर Loan दे रहा हो, तो आपको Bank से Loan लेना चाहिए न कि NBFC से क्योंकि Bank में भरी जाने वाली हर EMI के साथ आपका Loan Amount कम होता जाएगा और आपको केवल उतने ही Amount पर Interest Pay करना होगा, जो कि बकाया है। जबकि Flat Interest Rate के अन्तर्गत आपको पहली EMI में जितना Interest देना होगा, उतना ही Interest आपको अपनी अन्तिम EMI में भी देना होगा।
Loan Repay करने की अवधि जितनी ज्यादा हो, APR उतना ही सस्ता और Flat Rate उतना ही महंगा पड़ता है। इसलिए जहां तक सम्भव हो, आपको हमेंशा APR Interest Rate पर Loan देने वाले Financial Institution से ही Loan लेना चाहिए। फिर भले ही आपके लिए APR, Flat Rate की तुलना में दुगुना ही क्यों न हो। आप Flat Rate को APR व APR को Flat Rate में Convert करके आसानी से इस बात का पता लगा सकते हैं कि आपके लिए कौनसा Loan ज्यादा सस्ता रहेगा।
हालांकि जब भी आप Personal Loan के लिए Apply करते हैं तो ज्यादातर Financial Institutions आपको Flat Rate पर ही Loan Provide करते हैं क्योंकि Personal Loan एक Unsecured Loan होता है इसलिए Financial Institution आपको Higher Interest Rate Charge करते हैं और Flat Rate हमेंशा APR की तुलना में काफी ज्यादा होता है।
इसके अलावा Financial Institutions Interest को दो और तरीकों से Calculate करते हैं जिन्हें सामान्यत: Fixed Rate व Variable Rate के नाम से जाना जाता है। Fixed Rate के अन्तर्गत आपने जिस Rate पर Loan लिया है, पूरी EMI के दौरान आपको उतना ही Interest Pay करना होगा जितना Loan Approve करते समय तय कर दिया गया है। जबकि Variable Rate पर लिए गए Loan पर हर 3, 6 या 12 महीने बाद RBI की Policy के अनुसार Interest Rate कम या ज्यादा हो सकता है और उसी के अनुसार आपके Loan को Repay करने की अवधि यानी EMIs की संख्या अथवा EMI का Amount Change हो सकता है।
इन दोनों ही तरह के Interest Rates के अपने फायदे व नुकसान हैं लेकिन Mostly विभिन्न Financial Institutions Fixed Rate पर ही Personal Loan Provide करते हैं।
Personal Loans – Fixed Number of EMIs
किसी भी अन्य Loan की तरह ही Personal Loan Repay करने के लिए भी एक निश्चित समयावधि तय किया जाता है जिसके आधार पर कुल EMIs की संख्या तय होती है। सामान्यत: ज्यादातर Bank या NBFCs Personal Loan चुकाने के लिए अधिकतम 3 से 5 साल की अवधि तय करते हैं जहां आपको हर माह EMI (Equal Monthly Installments) के रूप में एक निश्चित अवधि तक एक निश्चित Amount चुकाना होता है।
आप जितना ज्यादा Amount का EMI तय करते हैं, आपका Repayment Duration उतना ही कम हो जाता है और जितना ज्यादा समय में Loan चुकाना चाहते हैं, आपके EMI का Amount उतना ही कम हो जाता है। लेकिन ज्यादा समय तक Loan Repayment करने पर आपको Interest भी ज्यादा चुकाना पड़ता है। इसलिए यदि आप Flat Rate पर Personal Loan ले रहे हैं, तो कोशिश कीजिए कि आप कम से कम EMIs में अपना Loan Repay कर दें।
यहां भी एक बात ध्यान रखें कि यदि आपने 12 किश्तों में Personal Loan चुकाने के लिए EMI Set करवाया है, तो फिर Pre-Payment करके 6 किश्तों में Repayment न करें क्योंकि Bank ने आपके पूरे Loan पर 12 महीनों का Interest Charge करके ही EMI Set किया होता है, ऐसे में 6 किश्तों में Payment करके आप अपने आप को Financially तंगी में डालते हैं और Bank को 6 महीने का ज्यादा Interest कमाने का मौका दे देते हैं क्योंकि आप द्वारा 6 महीने का Advance में Repay किया गया EMI वे किसी दूसरे व्यक्ति को Loan के रूप में देते हैं और उससे भी अगले 6 महीने आपके Pre-Paid Amount पर Interest कमाते हैं।
इसलिए यदि आप 6 महीने में पूरा Payment Repay कर सकते हैं, तो 6 महीने के लिए ही Personal Loan लीजिए न कि 12 महीने के लिए लेकर 6 महीने में Prepayment कीजिए।
हालांकि यदि आपको APR Base पर Loan मिला है, तो उस स्थिति में जैसे-जैसे आपका Principal Amount Repay होता जाता है, आपके हर EMI में Interest Amount घटता जाता है और Principal Amount बढ़ता जाता है। इसलिए इस स्थिति में आप यदि अपना Loan 12 महीने में भी Pay कर सकते हैं, तब भी आप जितना ज्यादा हो सके उतना ज्यादा समय के लिए EMI तय करवाईए।
मान लीजिए कि आपको अधिकतम 3 सालों का समय मिलता है जिसमें आप अपना Personal Loan Repay कर सकते हैं जबकि आप स्वयं मात्र 12 महीनों में ही अपना पूरा Personal Loan बिना किसी परेशानी के Repay कर सकते हैं। तब भी आप 3 साल के लिए EMI Set करवाईए और हर EMI के साथ जब भी आपके पास ज्यादा Surplus हो, उसे Repay कर दीजिए। क्योंकि अब अगर आप हर महीने अपनी EMI का दुगुना Amount भी Repay कर देते हैं, तो उस स्थिति में आपके एक EMI में ही आपने Interest Pay किया होता है जबकि दूसरा EMI Amount आपके Loan Balance में से पूरी तरह से Deduct करने के बाद जो बचा हुआ Balance होता है, उसी पर Interest Pay करते हैं। इसलिए हर EMI Pay करने के साथ ही आपके EMI Pay करने का Duration यानी EMI की संख्या कम होती जाती है।
उदाहरण के लिए मान लीजिए कि आपने 1 लाख का Loan लिया जिसे ब्याज सहित आपको 3 साल में 1.44 लाख Repay करना है। यानी आपको निम्न चित्रानुसार प्रतिमाह लगभग 4000 रूपए का EMI देना है –

What is a Personal Loan
जहां इस पूरे Loan पर 3 साल में आप लगभग 43994 रूपए Interest के रूप में Pay करेंगे। लेकिन यदि आप हर महीने 4000 की EMI के साथ 6000 रूपए Prepayment कर देते हैं, तो आपको निम्नानुसार कुल 12 EMI ही भरना होगा-

What is a Personal Loan
और आप द्वारा Pay किया जाने वाला Interest मात्र 13603 रूपया ही होगा। जबकि यदि आपके Personal Loan का Interest Rate Flat होता, तो उस स्थिति में आप यदि 3 साल के लिए EMI Set करवाने के बाद ठीक इसी तरह से 6000 रूपए प्रतिमाह Extra Prepayment करते, तब भी आपको 43994 रूपए का पूरा Interest Repay करना पड़ता।
अलग-अलग Banks व Financial Institutions के Loan Approval से लेकर Loan Repayment तक कई तरह के Charges होते हैं, जिन्हें पूरी तरह से समझने के बाद ही आप इस बात का निर्णय ले सकते हैं कि आपके लिए किस Financial Institution से Personal Loan लेना ज्यादा फायदेमन्द है।
इसलिए केवल Flat या APR Interest Rate की तुलना करके ही किसी Bank से Loan लेने का चुनाव न करें बल्कि उनसे Loan Approval होने से लेकर आपके Bank A/c में Credit होने तक Processing Fee, Stamp Duty, आदि अन्य विभिन्न चीजों में कुल कितने तरह के खर्चे होंगे, इसकी भी पूरी जानकारी प्राप्त करें।
साथ ही Different Financial Institutions के Pre-payment करने अथवा Pre-closure करने के संदर्भ में भी कई तरह के Rules, Regulations and Charges होते हैं, जिनके बारे में आपको पहले ही जान लेना जरूरी होता है ताकि आप Best Possible Deal के लिए बेहतर Financial Institution का चुनाव कर सकें।
उदाहरण के लिए यदि कोई Bank आपको APR Based Personal Loan तो दे रहा है लेकिन Pre-Closure करने पर आपको Total Outstanding Amount पर 4% Penalty Charge करता है या फिर आपको कम से कम 12 EMIs से पहले Pre-Payment करने की सुविधा नहीं देता या 12 EMIs से पहले Pre-Payment करने पर आपको Total Outstanding Amount पर 2% Penalty Charge करता है, तो इस तरह के Charges से आपका Loan आपको किसी अन्य Flat Rate वाले Financial Institution से लिए जाने वाले Loan की तुलना में भी काफी महंगा पड सकता है।
इसलिए यदि आप Loan लेने के लिए Eligible हैं, तब भी आपको ही तय करना चाहिए कि आपको किस Financial Institution से Loan लेना है क्योंकि Loan देकर कोई आप पर अहसान नहीं कर रहा है।
इसलिए Loan देने वाला Financial Institution आपसे कितना Return लेगा, इस विषय में Bargaining करना आपका अधिकार भी है और आपको Bargaining करनी भी चाहिए। क्योंकि Bargaining करने से आपको ज्यादातर Situations में फायदा ही होता है। फिर इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किसी Showroom में Bargaining कर रहे हैं, किसी Hospital में Bargaining कर रहे हैं, या किसी Bank में Bargaining कर रहे हैं।