हालांकि भारत की ज्यादातर जनसंख्या गरीबी-रेखा के नीचे जीवनयापन करती है, लेकिन जैसे-जैसे सरकार द्वारा Financial Reforms के कदमों को उठाया जा रहा है, उससे ज्यादा से ज्यादा लोग भारत के Financial System में Include होने वाले हैं और
इसीलिए अब सभी के लिए Income Tax के कानून को समझना व Financially Literate होना बहुत जरूरी होता जा रहा है क्योंकि जब तक आप Income Tax Act के विभिन्न Sections को ठीक से समझेंगे नहीं, तब तक आप Perfect तरीके से अपने Financial Decisions नहीं ले सकते।
आपके लिए ये जानना बहुत ही जरूरी है कि आपकी कौनसी Income किस तरह की Income Tax Category में आती है, वह Income Taxable है भी या नहीं और यदि Taxable है, तो आपको आपकी Income Category के अनुसार किन परिस्थितियों में कितनी छूट मिलती है और किन तरीकों से आप कितना Tax Saving कर सकते हैं। क्योंकि Income Tax से सम्बंधित पर्याप्त जानकारी न होने के कारण कई बार अाप अपनी उस Income पर भी Tax Pay कर देते हैं, जिस पर आपको Tax Pay करने की जरूरत ही नहीं थी और एक बार आपने जो Tax Pay कर दिया, सरकार उसे कभी वापस नहीं लौटाती, हालांकि यदि आप किसी Taxable Income पर Tax न दें, तो सरकार आप पर Raid जरूर कर देती है।
इसलिए चाहे आप Tax Payer हों, चाहे न हों, आपको Income Tax के कानून के बारे में पर्याप्त जानकारी होना निश्चित रूप से आपके लिए उपयोगी ही है, ताकि आपको अपने C. A. पर आंख बन्द करके भरोसा न करना पड़े और आप स्वयं इस बात का निर्णय ले सकें कि आपकी कितनी आय किस Head में Taxable है और किस मद में आप कितनी छूट प्राप्त कर सकते हैं।
यदि सरलतम शब्दों में कहें, तो हमारे देश में लोगों की यही मान्यता है कि यदि आपकी आय सालाना 2.5 Lac से ज्यादा है, तो आप Tax Bracket में आते हैं। बात सही भी है, लेकिन बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि यदि आपको Income Tax Act की सही समझ हो तो कम से कम 6 लाख से 12 लाख सालाना कमाने के बावजूद भी आप कानूनी रूप से Income Tax देने से बच सकते हैं।
यानी प्रतिमाह 1 लाख रूपए कमाने के बावजूद यदि आप उसे IT Act के विभिन्न कानूनों के अन्तर्गत Categorized कर दें, तो आपको Income Tax के रूप में एक भी रूपया देने की जरूरत नहीं है। लेकिन यदि आपका C.A. इतना समझदार न हुआ, तो हो सकता है कि IT Act के Section-80C पर मिलने वाले 1.5 लाख के उपर की सारी कमाई पर आपको Tax Pay करना पड जाए, जो कि Mutual Funds, Insurance व अन्य तरह के Financial Instruments में Invest करके बच सकता है और इस पोस्ट तथा आने वाले कुछ और पोस्ट में हम इसी विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
भारत में रहने वाले सभी लोग चाहे वे जिस किसी भी तरह का काम करें, उनकी होने वाली Income को मूल रूप से 5 भागों में विभाजित किया गया है जिन्हें Heads of Income के नाम से जाना जाता है और इन सभी को Income Tax Act के Section-14 के अन्तर्गत विस्तार से परिभाषित किया गया है। ये पांचों Heads of Income निम्नानुसार हैं-
- Salary, जो कि एक Employer अपने Employee को Pay करता है, फिर Employee चाहे Government Job में हो, चाहे Private Job में।
- Income from House Property, जो कि एक व्यक्ति अपनी किसी Property के माध्यम से Generate करता है। उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति अपने घर को किराए पर देता है, तो उससे होने वाली Income इस Head के अन्तर्गत आती है।
- Profit and Gains from Business and Profession (PGBP), इसके अन्तर्गत किसी भी तरह के Business या Profession से सम्बंधित Earning को Include किया जाता है।
- Capital Gain, यदि आप अपनी किसी सम्पत्ति (Asset) को बेच देते हैं, तो उस पर होने वाली आय इस Head के अन्तर्गत आती है।
- Income from Other Sources (Gambling, Member of Parliament को मिलने वाली Salary, Lottery), इसके अन्तर्गत उन सभी Income को रखा जाता है, जो कि उपरोक्त चारों में से किसी में भी Taxable न हो।
कोई भी Salary, चाहे वह किसी भी कम्पनी से मिले, Salary Head of Income के अन्तर्गत ही आएगा और केवल Salary Head के अन्तर्गत Add होकर Taxable होंगे। इसी तरह से मेरे चाहे जितने Businesses हों अथवा मुझे चाहे जितने Professions से Income प्राप्त हो रही हो, वे सभी केवल PGBP Head के अन्तर्गत Add होकर Taxable होंगे।
यानी Source of Income चाहे जितने हों, वे जिस किसी Head से सम्बंधित हैं, उसी Head के अन्तर्गत जुड़ेंगे और फिर उस जुड़े हुए Total Amount पर ही Income Tax Apply होगा।
इस तरह से Source of Income, Unlimited हो सकते हैं, लेकिन Heads of Income हमेंशा 5 ही होंगे।
Salary Head
कोई Income एक तरह की Salary है, और उस पर Income Tax Act के Salary Head से सम्बंधित कानून Apply हों, इसके लिए जरूरी है कि वह Income दो लोगों के बीच Employer/Employee Relationship से Generate हुई हो। यानी किसी भी Income का Salary होने के लिए जरूरी है कि वह Employer/Employee Relationship से Generate हुआ हो।
सरल शब्दों में कहें तो किसी Employee को उसके Employer से मिलने वाली किसी भी तरह की Direct/Indirect Income, एक प्रकार की Salary ही है और उसे Salary Head के अन्तर्गत ही Taxable किया जाना होता है, फिर इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि Employer ने Employee को Cash दिया है या Gift दिया है।
उदाहरण के लिए यदि आप नौकरी करते हैं, फिर इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप Government Service करते हैं या Private Job, न केवल आपको आपके Employer (मालिक) से मिलने वाली Basic Salary, Dearness Allowance (DA), House Rent Allowance (HRA), etc… Salary Head के अन्तर्गत Taxable होंगे, बल्कि आपके Birthday या Marriage Anniversary पर आपके Boss द्वारा आपको जो Gift दिया जाता है, वह भी Salary Head के अन्तर्गत ही Taxable है, क्योंकि यदि आप अपने Boss के Employer न होते, तो वो आपको Gift नहीं देता।
जबकि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि Gift के रूप में आपको अपने Employer से क्या मिल रहा है। यानी आपके Employer से Gift के रूप में आपको चाहे Cash Increment या Bonus मिले अथवा Car, T.V., Refrigerator, Air Condition (AC), Land, Flat, House मिले, जो कुछ भी मिले, वह सबकुछ आपके Income Tax की File में Salary Head के अन्तर्गत ही Taxable होगा।
यदि दो लोगों के बीच Employer/Employee Relationship है, तो इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि Employee, Full Time Job करता है या Part Time Job, Employer से होने वाली सभी Income, Employee के लिए Salary Head के अन्तर्गत ही Represent करना होगा।
अब सवाल ये है कि Employee/Employer का Relationship होता कब है?
इस सवाल का आसान सा जवाब ये है कि यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे से कोई काम करवाने के लिए उसे Control करता है, Monitor करता है, Guide करता है, Instruct करता है और Direct करता है कि क्या करना है, कब करना है, कैसे करना है, तो वह पहला व्यक्ति Employer व दूसरा व्यक्ति Employee है, तथा दोनों के बीच Employer/Employee Relationship है, फिर Employee चाहे Full Time काम करे, चाहे Part Time, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता।
Salary Forego and Salary Surrender
कई बार ऐसा होता है कि आप अपनी Salary के किसी हिस्से को किसी Particular Event के लिए छोड़ देते हैं। उस स्थिति में वह Salary Due हो चुकी होती है और आपको उस Due Salary को Salary Head के अन्तर्गत Specify करके उस पर Income Tax Calculate करना जरूरी होता है। क्योंकि इस तरह की Salary आप हमेंशा के लिए नहीं छोड़ देते, बल्कि किसी Particular Event के लिए छोड़ते हैं।
उदाहरण के लिए मान लीजिए कि Goa में Tsunami आ गई जिससे हजारों लोग बेघर हो गए। उनकी मदद के लिए आप अपने Employer को अपनी पिछले महीने की Salary 50000 में से 10000 Relief Fund में देने के लिए कहते हैं। यानी आप अपने Employer से कहते हैं कि आप इस महीने Salary के रूप में 40000 ही लेंगे और 10000 रूपए सुनामी राहत केम्प के लिए छोड़ देंगे।
लेकिन इस प्रकार से छोड़ी गई Salary आपकी अपनी इच्छा से छोड़ी गई है, इसलिए Income Tax Return की File में आपको इस महीने की Salary के रूप में Salary Head के अन्तर्गत पूरे 50000 दिखाने होंगे, जिस पर आपको Income Tax Pay करना ही होगा, क्योंकि ये Salary आपने हमेंशा के लिए नहीं छोड़ी है। आप अगले महीने अपने Employer से फिर से पूरी Salary लेंगे।
इस तरह से छाेड़े गए Amount को Salary Forgo के नाम से जाना जाता है, जो कि Taxable होता है।
जबकि कई बार आप अपनी इच्छानुसार अपनी Salary के कुछ हिस्से को हमेंशा के लिए छोड़ देते हैं। जैसाकि आपने सुना होगा कि Bill Gates, Ratan Tata, Infosys के संस्थापक आदि अपनी कम्पनी से नाम मात्र की Salary लेते हैं, इस प्रकार से हमेंशा के लिए छोड़ दी गई Salary को Salary Surrender या Salary Sacrifice के नाम से Represent किया जाता है, और Income Tax Return File के अन्तर्गत इस तरह से हमेंशा के लिए छोड़ दी गई Salary पर Income Tax Calculate नहीं किया जाता।
यानी यदि Salary का कुछ हिस्सा किसी Specific Event के लिए छोड़ा जाता है, तो उस स्थिति में Company से पूरी Salary Due होती है, जिसमें से उस हिस्से को छोड़ दिया (Forgo) जाता है, इसलिए उस स्थिति में वह छोड़ा गया हिस्सा Taxable होता है। लेकिन जब Salary का कुछ हिस्सा हमेंशा के लिए छोड़ दिया (Surrender) जाता है, तब उस स्थिति में Company से आगे आने वाले महीनों में पूरी Salary Due नहीं होती, परिणामस्वरूप जो Salary Due ही नहीं होती, वह Taxable भी नहीं होती।
सरल शब्दों में कहें तो जब Salary का कुछ हिस्सा Salary Due होने के बाद छोड़ा जाता है, तो उसे Forgo Salary कहा जाता है जबकि Salary का कुछ हिस्सा Salary Due होने के पहले ही छोड़ दिया जाता है, तो उसे Surrender Salary कहा जाता है।