Bank द्वारा Borrower को निम्न Categories में विभाजित किया जाता है-
- पहली Category के अंतर्गत ऐसे Borrower आते हैं जिनका Credit Score बहुत अच्छा होता है और वे अपनी अकस्मात जरूरतों जैसे Education, Home, Medical Needs आदि को पूरा करने के लिए Loan लेना चाहते हैं।
- दूसरी Category के अंतर्गत ऐसे Borrower आते हैं जिनके पास किसी तरह का कोई Credit Score नहीं होता है क्योंकि या तो वे Newly Employee होते हैं या उनके जीवन में कभी ऐसा कोई अवसर ही नहीं आया होता, कि उन्हे Credit Card या Loan लेना पड़ा हो।
- तीसरी Category के अंतर्गत ऐसे Borrower आते हैं जिनका Credit Score बहुत ही खराब होता है अर्थात इस तरह के Borrower, Loan लेने के बाद, EMIs का भुगतान करने में देरी करते हैं अथवा Default कर देते हैं।
इस तरह से First Category के Borrower के लिए Loan लेना बहुत ही आसान होता है और Banks भी ऐसे Borrower की ही तलाश करता है। इसलिए Banks द्वारा इस तरह के Borrowers को Discounted Rates पर Large Amount का Loan आसानी से Approve कर दिया जाता है।
जबकि दूसरी Category के Borrowers को Loan देने से पहले, Bank द्वारा कुछ Extra जानकारी ली जाती है। जैसे-
- Borrower की Salary कितनी है?
- Borrower कौनसी Company में काम करता है?
- Borrower पर Liabilities (लेनदारियाँ) कितनी है?
संक्षिप्त में कहें, तो कुछ Formalities के साथ इस Category के Borrower के लिए भी Loan लेना आसान होता है।
लेकिन तीसरी Category के Borrowers को जब भी Loan की जरूरत होती है, तब उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है क्योंकि इस तरह के Borrower का Credit Score अच्छा नहीं होता है, जो कि उनकी Negative Credit Report दर्शाता है, परिणामस्वरूप Borrower द्वारा जब तक Bank के पास, Loan के बदले में Collateral/Security कुछ गिरवी नहीं रखा जाता है, तब तक Bank द्वारा इस तरह के Poor Credit Score वाले Borrower को Loan Provide नहीं किया जाता है।
इस तीसरी Category वाले Borrower द्वारा Loan लेने के लिए Bank की सभी Terms and Conditions को पूरा कर भी दिया जाए, तब भी इस Category के Borrowers को उच्च ब्याज दर (High Interest Rate) पर और काफी कम समय के लिए ही Loan Provide किया जाता है, जिसे Repay करना Borrower के लिए आसान नहीं होता।
इस स्थिति में Banks द्वारा एक Facility Provide की जाती है, जिसके अंतर्गत इन तीनों ही तरह के Borrower द्वारा Loan लिया जा सकता है। इस Facility के अंतर्गत Borrower अपने Shares/Securities को गिरवी रखकर Loan ले सकते हैं और यह एक Secured Loan होता है, परिणामस्वरूप इसकी Interest Rate बहुत ही Competitive होती है।
What is Loan Against Securities
Investor इसी उद्देश्य से Investment करते हैं ताकि उनके द्वारा Saving किए हुए पैसे घर पर नकद के रूप में बेमतलब न पड़े रहे क्योंकि यदि पैसों को घर पर नकद के रूप में रखा जाता है तो Inflation के कारण धीरे-धीरे पैसों के मूल्य में कमी आ जाती है।
इसीलिए Investors सोचते हैं कि इन पैसों को किसी Investment Options जैसे Mutual Funds यथा Equity Mutual Fund या Debt Mutual Fund, Share Market, Fixed Deposit Scheme या Recurring Deposit Scheme आदि में Invest कर दिया जाए ताकि धीरे-धीरे उन पैसों में वृद्धि हो।
लेकिन ऐसे Investors को दिक्कत तब आती है जब इन्हें अचानक से Urgently एक बड़े Amount की जरूरत पड जाती है जबकि इनकी ज्यादातर बचत Securities/Shares के रूप में Invested होने की वजह से वे यदि अपने Investment को Emergency में Liquidate करें, तो उन्जें Realized रूप में काफी Loss हो जाता है अथवा उनका Return on Investment काफी कम हो जाता है।
इस समस्या से बचने के लिए Banks और Non-Banking Financial Companies द्वारा एक Facility Offer किया जाता है जिसके अंतर्गत Investors अपनी Security के बदले में Loan ले सकते हैं, जिसे Loan Against Security के नाम से जाना जाता है।
Loan Against Security/Shares एक तरह का Monetary Loan होता है जिसे Listed Securities जैसे Bonds, Shares, Insurance Policies के Against Provide किया जाता है। इस तरह का Loan लेना Investor के लिए उस समय Useful होता है, जब उन्हे किसी Business या Personal Requirement को पूरा करने के लिए पैसों की तुरंत (Immediate) जरूरत होती है।
How much Loan Amount will be Approved?
यदि Investor, अपने Shares के बदले में Loan लेना चाहते हैं, तो उनके Portfolio में उपलब्ध Shares के बदले में कितना Loan Amount Approve किया जाएगा, यह निम्न बातों पर निर्भर करता है-
1. Investor द्वारा Hold किए हुए Shares की वर्तमान Value कितनी है।
2. Bank द्वारा उन Shares पर कितना Margin Allow किया गया है।
3. Investor की Past Credit History कैसी है।
Investor की Security के बदले में Share Value का लगभग 50%-70% तक Loan Approve किया जाता है। इस प्रकार से यदि Investor के Portfolio में 20 लाख रूपए के ऐसे Shares हैं, जिनके बदले में Bank Loan Provide करता है, तो Investor को 10 लाख से 14 लाख रूपए तक का Loan Provide किया जा सकता है।
When should one take Loan Against Shares?
Investor को Shares के बदले में Loan तभी लेना चाहिए, जब Investor को तुरंत पैसों की जरूरत हो और Investor इस बारे में Sure हो कि कुछ महिनों के भीतर ही उसके द्वारा Loan Amount को Repay कर दिया जाएगा। यदि Investor को अपनी Repayment Capability पर शक हो, तो उस उस स्थिति में उसे किसी अन्य Source से पैसा लेना चाहिए।
क्योंकि यदि Investor समय पर अपने Loan against Securities का Repayment नहीं करता, तो Bank द्वारा उसकी Securities को Sell करके Payment वसूल कर लिया जाता है, जो कि Investor के लिए और भी ज्यादा नुकसानदायक हो है।
कई सारे Borrowers ऐसे होते हैं जो Shares के बदले में Loan इसलिए लेते हैं, ताकि वे उन पैसों को फिर से Shares में ही Invest कर सके। लेकिन वास्तव में Shares में Invest करने के लिए Loan लेना एक नुकसानदायक आदत होती है और कई सारे Banks, Loan देते समय यह Conditions भी लगा देते हैं कि उस Loan Amount का प्रयोग Shares को खरीदने में नहीं किया जा सकता है।
Why should one get Loan Against Shares?
जब Borrower द्वारा Unsecured Loan लिया जाता है तो उस पर Charge की जाने वाली Interest Rate, Secured Loan पर Charge की जाने वाली Interest Rate से तुलनात्मक रूप से ज्यादा होती है और ऐसे Borrower जिनका Credit Score अच्छा नहीं होता है, उन्हें तो Unsecured Loan Provide भी नहीं किया जाता है।
इसलिए अपने Shares को बेचने के बजाए या किसी ऐसे Lender के पास जाने के बजाए जो आपसे अत्यधिक Interest Rate Charge करें, Borrower को Loan Against Shares Option के साथ जाना चाहिए क्योंकि इस स्थिति में Investor अपने Securities को बेचने के बजाए, उसे Banks या Non-Banking Financial Companies के पास गिरवी रख देते हैं, और जितना जल्दी उनके पास पैसा आता है, उतना ही जल्दी उसे चुकाकर वे अपनी Securities को वापस से ले सकते हैं।
साथ ही इस दौरान उनके Investment पर Return on Investment के रूप में जो Earning होता है, वो भी उन्हें ही मिलता है, जबकि Investment को Liquidate कर देने की स्थिति में उनके Investment पर कोई Return Generate नहीं होता।
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