Difference Between Simple Interest and Compound Interest – Interest यानी ब्याज, किसी व्यक्ति द्वारा उधार लिए गए धन पर चुकाई जाने वाली राशि को कहते है। Interest दो तरह से Charge किया जा सकता है-
- ऐसा Interest, जो केवल Loan (उधार) लिए गए Amount पर ही Charge किया जाता है, उसे Simple Interest कहते हैं और
- ऐसा Interest, जो Loan Amount + Accumulated Interest (संचित ब्याज) को जोड़ते हुए Charge किया जाता है, उसे Compound Interest कहते हैं।
चलिए, इन दोनों ही प्रकार के Interests यानी ब्याजों के बारे में थोड़ा विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं, क्योंकि सम्पूर्ण Banking System कहीं न कहीं इन्हीं दोनों प्रकार के Interests पर ही आधारित है।
Simple Interest Definition
Simple Interest वह है, जो संपूर्ण Borrowing Period (उधार की अवधि) के लिए Principal Amount (मूलधन) पर एक पूर्वनिर्धारित Percentage के रूप में Charge किया जाता है। Borrowed Amount पर Interest का Calculation करने का यह सबसे सरल तरीका है, जिससे तेजी से Interest की Calculation हो जाती है। Car Loan इस प्रकार के Interest का Most Common Example है क्योंकि Car Loan में Interest केवल मात्र Borrowed किए गए Principal Amount पर ही Charge किया जाता है।
Simple Interest की Calculation करने के लिए निम्न Formula Use किया जाता है।
Simple Interest = P*R*N
Where as,
P = Principal Amount
R = Rate of Interest
N = Number of Years
चलिए हम एक उदाहरण द्वारा Simple Interest की Calculation को समझते हैं। मान लीजिए कि आपने अपने Friend को 2 साल के लिए 20,000 रूपये उधार दिया है, जिस पर आप 15% Per Annum (सालाना) के हिसाब से Simple Interest Charge करेंगे, तो 2 साल बाद आपका Friend आपको मूलधन के अलावा ब्याज की कितनी राशि वापस चुकाएगा, इस बात का पता लगाने के लिए हम उपरोक्त Formula को Use करते हुए Simple Interest Calculate कर सकते हैं। जहां-
Principal Amount = 20000
Rate of Interest per Period = 15%
Number of Years = 2 Yrs.
Simple Interest = 20000 x 15/100 x 2
Simple Interest = 6000
यानी आपका Friend कुल 26000 रूपये चुकाएगा, जिसमें 20000 रूपये Principal Amount के होंगे और 6000 रूपये Simple Interest के होंगे।
Interest चाहे Simple हो या Compound, आपको ये बात विशेष रूप से ध्यान में रखनी होती है कि आप Interest Rate किस प्रकार से लगा रहे हैं अर्थात आपका मित्र आपको ब्याज का भुगतान Annually (साल में एक बार), Half Yearly (साल में दो बार), Quarterly (साल में चार बार), Monthly (प्रतिमाह), Weekly (प्रति सप्ताह) या Daily (प्रति दिन) किस आधार पर करेगा क्योंकि इसी आधार पर इस बात का निर्णय होगा कि उसे किस परिस्थिति में कितना ब्याज देना होगा।
उदाहरण के लिए मान लीजिए कि आप अपने मित्र से सालाना 15% ब्याज लेंगे लेकिन आपका मित्र ब्याज का भुगतान Half Yearly Basis पर यानी साल में दो बार करेगा। उस स्थिति में उसका Half Yearly Interest Rate 7.5% ही होगा।
परिणामस्वरूप यदि हमारे उपरोक्त Example में हालांकि आपका Friend आप से अधिकतम दो सालों तक के लिए पैसे उधार लेता है लेकिन किसी कारणवश उसकी जरूरत पूरी हो जाती है और वह 6 माह के अंदर ही आपका कर्ज चुका देना चाहता है, तो उस स्थिति में उसके Interest की Calculation 6 माह के आधार पर होगी और Interest Rate आधी अर्थात् 7.5% ही होगी। फलस्वरूप आपका Friend आपको केवल मात्र 21500 रूपये का ही Repayment करेगा क्योंकि 15% Annually Interest Rate के हिसाब से एक साल का Interest 3000 रूपये बनता है तो 6 माह के लिए Interest Amount 1500 रूपये ही होंगे।
Rate of Interest (दर) व (Time) समय में सम्बंध
जब हम किसी को पैसा Loan के रूप में देते हैं, तो बदले में हम उससे Interest के रूप में कुछ Extra Amount लेते हैं। ये Extra Amount यानी Interest जिस दर पर Calculate किया जाता है, उसका समयावधि से विशेष सम्बंध होता है जैसाकि पिछले Section में हमने Discuss किया।
उदाहरण के लिए जब हम किसी Bank के Saving Account में अपना Saving Deposit करते हैं, तो वास्तव में हम Bank को Loan दे रहे होते हैं, जिस पर Bank हमें सामान्यत: 4% सालाना दर पर Interest देता है लेकिन Bank हमें ये Interest, Half Yearly Basis पर देता है, इसलिए हर 6 महीने में हमारे Saving Account में Deposited Total Amount पर वास्तव में 2% की दर से ब्याज Calculate करता है।
Compound Interest Definition
Compound Interest, एक ऐसा Interest है जो Revised Principal Amount अर्थात् Original Principal Amount + पूर्व की अवधियों के Accumulated Interest (संचित ब्याज) के योग पर Charge किया जाता है।
इस Method के अंतर्गत Initial Principal (प्रारंभिक मूलधन) पर प्राप्त किए गए Interest को Initial Principal Amount में जोड़कर मिश्रधन बना लेते हैं और अगली बार जब ब्याज का Calculation किया जाता है, तो इस बार मूलधन पर नहीं बल्कि मिश्रधन को Principal Amount के रूप में Use किया जाता है। सरलतम शब्दों में कहें तो Compound Interest (चक्रवृद्धि ब्याज) को ब्याज पर ब्याज के नाम से भी जाना जाता है।
उदाहरण के लिए Bank हमें हमारे Saving Bank Account में Deposited Total Amount पर 4% सालाना की दर से हर 6 महीने में चक्रवृद्धि ब्याज (Compound Interest) देता है। इसलिए मूलत: बैंक हमें हर 6 महीने में हमारे Total Deposited Amount पर 2% की दर से चक्रवृद्धि ब्याज Pay करता है। चलिए, चक्रवृद्धि ब्याज के Calculation को एक उदाहरण द्वारा समझने की कोशिश करते हैं, जहां हम ये मान रहे हैं कि Saving A/c में हमारे 10000 रूपए Deposited हैं, जिस पर Bank हमें 4% सालाना की दर से हर 6 महीने में ब्याज देता है। इस स्थिति में-
पहली छमाही पर मिलने वाला ब्याज = 10000 x 2/100 x 1 (छमाही)
Simple Interest = 200
चूंकि Accumulate होने वाले इस 200 रूपए ब्याज को भी Bank द्वारा फिर से Saving A/c में ही Deposit कर दिया जाता है, जो कि फिर से मूलधन बन जाता है, इसलिए अब वास्वत में मूलधन 10000 रूपए न होकर 10200 रूपए हो जाता है। परिणामस्वरूप जब Bank 6 महीने बाद फिर से Interest Calculate करता है, तो-
दूसरी छमाही पर मिलने वाला ब्याज = 10200 x 2/100 x 1 (छमाही)
Simple Interest = 204
यानी पूरे साल में बैंक द्वारा 10000 की राशि पर 4% की दर से हर छमाही के आधार पर दिया जाने वाला सालाना ब्याज 200 + 204 = 404 रूपए होगा। जबकि यदि Bank चक्रवृद्धि के स्थान पर सरल ब्याज ही देता, तो उस स्थिति में कुल Accumulated Simple Interest = 10000 x 2 / 100 x 2 (छमाही) = 400 रूपए ही होता क्योंकि Simple Interest में Accumulated Interest को मूलधन का हिस्सा नहीं माना जाता यानी ब्याज पर ब्याज नहीं दिया जाता।
Compound Interest को Manually Calculate करना काफी जटिल होता है, इसलिए सामान्यत: इसकी Calculation करने के लिए निम्न Formula Use करते हैं-
Compound Interest = P(1+R/N)^NT – P
Where as,
P = Principal Amount
N = Number of Compounding Per Year
T = Number of Years
R = Rate of Interest Per Period
अब यदि हम हमारे पिछले Example के Bank Interest को ही इस Formula द्वारा Calculate करें, तो-
P = Principal Amount = 10000
N = Number of Compounding Per Year = 2 (Half Year)
T = Number of Years = 1
R = Rate of Interest Per Period = 4% Yearly
Compound Interest = 10000 x (1 + 4/100 x 2)^2 x 1 – 10000
Compound Interest = 404
आप समझ सकते हैं कि समान धन (Principal Amount) पर समान दर (Rate of Interest) से ब्याज लगाने पर भी Compound Interest, Simple Interest की तुलना में 4 रूपए अधिक होता है, क्योंकि चक्रवृद्धि ब्याज में ब्याज पर ब्याज मिलता है, और यही इस ब्याज की सबसे बड़ी विशेषता भी है, जिसे दुनियाँ का आंठवा अजूबा भी कहा जाता है क्योंकि जो Compound Interest की Power को जान जाता है , उसे अमीर बनने से कोई नहीं रोक सकता।
क्या है Compounding की Power?
चलिए हम एक Example द्वारा इसे थोड़ा बेहतर तरीके से समझने की कोशिश करते हैं।
मान लीजिए कि आपने अपने 10,000 रूपये किसी Scheme में Deposit किए हैं, जहाँ पर आपको 10% की Annually Interest Rate से हर 6 महीने में Compound Interest मिलेगा, तो-
Principal Amount = 10,000/-
Interest Rate = 10% Annually
Number of Years = 10 Yrs.
Number of Compounding Per Year = 2 or Half Yearly Basis
Compound Interest = P(1+R/N)^NT
Compound Interest = 16,532.98
Compound Interest की वजह से 10 साल बाद आपको कुल 16532.98 रूपए ब्याज मिलेंगे। लेकिन यदि इसी Amount पर इतने ही समय के लिए केवल Simple Interest मिलता, तो-
Principal Amount = 10,000
Rate of Interest per Period = 10% Annually
Number of Years = 10 Yrs.
Simple Interest = 10,000 x 10/100 x 10
Simple Interest = 10,000
Simple Interest की वजह से 10 साल बाद आपको कुल 10000 रूपए ब्याज ही मिलेंगे। यानी केवल Interest Calculate करने तरीके को बदल देने मात्र से आपको 16532.98 – 10000 = 6532.98 रूपए का नुकसान होगा और ऐसा इसीलिए हो रहा है क्योंकि जब Compound Interest Calculate होता है, तो हर बार ब्याज Calculate होने के साथ ही वह ब्याज, मूलजध में जुड़कर बढ़ जाता है। परिणामस्वरूप अगली बार जब ब्याज Calculate होता है, तो आपको आपके पिछले ब्याज पर भी ब्याज मिलता है और यही है Compound Interest की Power है।
लेकिन Compound Interest का फायदा आपको तभी मिलता है, जब आप अपने हर बार मिलने वाले ब्याज यानी Interest Amount को Withdraw न करेंं। यदि आप अपने Accumulated Interest को हर बार Withdraw कर लेते हैं, तो आपका केवल Principal Amount ही Invested रहता है, परिणामस्वरूप Compound Interest Scheme होते हुए भी वह Scheme आपके लिए वास्तव में एक Simple Interest Scheme बनकर ही रह जाती है।
चूंकि Compound Interest की सारी ताकत इसी बात में छिपी है कि Accumulate होने वाला Interest फिर से मूलधन में जुड़कर Actual मूलधन को बढ़ा देता है, परिणामस्वरूप समान ब्याज दर होते हुए भी अगली बार अधिक ब्याज बनता है। इसलिए वास्तव में आपका Invested Amount कितना जल्दी कितना ज्यादा बन जाएगा, ये बात पूरी तरह से इस तथ्य पर निर्भर करती है कि आपके ब्याज Calculation का Conversion Period क्या है।
दो Interest Payment Period (ब्याज भुगतान अवधि) के बीच के Time Interval (समयांतराल) को Conversion Period (परिवर्तन अवधि) के नाम से जाना जाता है। Conversion Period के अंत में निम्नानुसार Interest Compound किया जाता है।
Conversion Period | Compounded |
1 Day | Daily |
1 Week | Weekly |
1 Month | Monthly |
3 Months | Quarterly |
6 Months | Semi-annually |
12 Months | Annually |
Conversion Period जितना कम होता है, आपका Accumulated Interest उतनी ही जल्दी Principal Amount में Convert हो जाता है। इसलिए 1% सालाना की तुलना में 1/365% Daily के आधार पर Calculate होने वाला Compound Interest कहीं ज्यादा होगा क्योंकि 1% सालाना की तुलना में 1/365% Daily में आपका Principal Amount हर रोज बढ़ेगा, क्योंकि Accumulated Interest हर रोज आपके पिछले मूलधन में जुड़ता जाएगा।
इस सारणी का मतलब ये हुआ कि यदि आप Daily Basis पर Compound Interest Charge करते हैं, तो आपका Initial Principal Amount, Daily Change हो जाएगा और यदि आप Weekly Compound Interest Charge करते हैं, तो हर Week में आपका Initial Principal Amount Change होगा। इसी प्रकार Monthly Basis होने पर Monthly, Quarterly Basis होने पर Quarterly, Half Yearly Basis होने पर Half Yearly और Annually Basis होने पर Annually आपका Initial Principal Amount Change होगा।
सामान्यत: Bank, Interest का Payment, Half Yearly Basis पर करते हैं, लेकिन Financial Institution में Quarterly Interest Payment करने की Policy होती है। इसलिए यदि आप Bank FD में 10000 रूपए 8% सालाना की दर से Deposit करते हैं, और आपका मित्र 10000 रूपए 8% सालाना की दर से किसी LIQUID FUND Scheme में Deposit करता है, तो आपके मित्र को मिलने वाला ब्याज, आपकी तुलना में अधिक होगा, क्योंकि Bank, Half Yearly Basis पर Interest Calculate करते हैं जबकि Mutual Fund Companies, Quarterly Basis पर।
जब हम Compound Interest की बात करते हैं, तब हमें इस बात का पता निश्चित रूप से होना चाहिए कि हमें Interest का भुगतान Daily, Weekly, Monthly, Quarterly, Half Yearly या Annually किस आधार पर करना है अथवा हमें Interest का भुगतान कब प्राप्त होगा, क्योंकि इस Conversion Period का हमारे Interest पर जबरदस्त प्रभाव पड़ता है और Interest की Calculation जितनी कम अवधि पर की जाती है, उतना ही ज्यादा Interest Generate होता है। लेकिन जब हम Simple Interest की बात करते हैं, इस Conversion Period का हमारे Interest Amount पर कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि Interest हमेंशा Principal Amount पर ही Charge किया जाता है।
निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि-
- Interest वह Fees है, जो किसी दूसरे के पैसे के प्रयोग के बदले में एक पूर्वनिर्धारित निश्चित दर से चुकाया जाता है। Interest के Payment करने के कई कारण जैसे Time Value of Money (धन का सामयिक मूल्य), Inflation (मुद्रास्फिति), Opportunity Cost (अवसर लागत) और Risk Factor (जोखिम कारक) आदि हैं।
- Simple Interest की Calculation सरलता व आसानी से की जा सकती है क्योंकि Principal Amount हमेंशा ही एकसमान रहता है जबकि Compound Interest की Calculation करना थोड़ा Difficult है क्योंकि Principal Amount Change होता जाता है।
- यदि आप एकसमान Period, Amount और Interest Rate से Simple Interest और Compound Interest की Calculation करते हैं तो Compound Interest अपने Compounding Effect के कारण हमेंशा ही Simple Interest की तुलना में ज्यादा होगा।