हर चीज का एक Cost होता है, जो Pay करना ही पड़ता है।
अगर कोई चीज समय से पहले चाहिए तो हम उस चीज को पाने के लिए उसे Bank या किसी Financial Institution से Finance करवाते हैं ताकि हमें हमारी मनचाही चीज समय से पहले प्राप्त हो जाए क्योंकि यदि हम उसी चीज को खरीदने के लिए उसका पूरा Payment का बचत करने का प्रयास करेंगे, तो एक बड़ा Amount Save करने में हमें काफी समय लग जाएगा।
जबकि Finance Company से Finance लेकर उसी चीज को जब हम समय से पहले खरीद लेने की क्षमता प्राप्त कर लेते हैं, तो उस मिलने वाले Advance Time के बदले हमें Interest के रूप में कुछ Extra Payment करना पड़ता है। ये Extra Payment, उस चीज को उसके समय से पहले प्राप्त करने का Cost है।
उदाहरण के लिए यदि हम कोई कार लेना चाहते हैं, जिसकी कीमत 4 लाख है और हमारी अधिकतम मासिक बचत 15000 रूपए है। इस स्थिति में यदि हम उस कार के लिए Saving करना शुरू करें, तो हमें उस कार को खरीदने में लगभग 2 से 3 साल और लग जाऐंगे क्योंकि इस समय के साथ ही महंगाई के कारण उस कार की कीमत में भी कुछ न कुछ बढ़ोतरी हो जाएगी।
जबकि यदि उसी कार को हम 1 लाख का Down Payment करके आज ही खरीद लें, जिसकी मासिक किश्त लगभग 7500 रूपए हो, तो उस कार को हम आज भी Afford कर सकते हैं क्योंकि हमारी मासिक बचत 15000 रूपए है।
लेकिन उस कार को आज ही खरीदने के बदले में हमें अगले 5 सालों में Finance Company को लगभग 1+ लाख रूपया Interest के रूप में Pay करना पड़ेगा और ये Interest वह Cost है, जो हमें उस कार को आज लगभग 3 साल पहले खरीदने क्षमता देता है क्योंकि इसी कार को खरीदने के लिए यदि हम Monthly Saving करते, तो कार खरीदने लायक स्थिति में पहुंचने में हमें लगभग 3 साल तक का समय लग जाता।
यानी प्रतिवर्ष लगभग 20 हजार रूपए Extra Pay करके हम हमारे भविष्य के सपने को आज साकार कर सकते हैं। इसीलिए EMI के साथ Interest के रूप में जो Extra Interest Payment किया जाता है, वो एक तरह से अगले तीन सालों के समय को आज Advance में खरीदने का Cost है।
जिन्हें समय ज्यादा मूल्यवान लगता है, वे लोग Finance Company को EMI के माध्यम से Extra Payment करके समय को खरीदते हैं और भविष्य को आज में जीने का Risk लेते हैं, क्योंकि ये भी हो सकता है कि वे जिस भविष्य के सपने को आज EMI पर जी रहे हैं, किसी कारणवश उस EMI को भी न भर पाऐं और उनका सपना बीच में ही टूट जाए।
लेकिन जो लोग भविष्य का बिल्कुल भी Risk लेना नहीं चाहते, वे लोग अपने सपने को तभी जीना चाहते हैं जब उस सपने के लिए वे Cash Payment कर सकने की स्थिति में हों। जरूरी नहीं है कि ऐसे लोगों का सपना भी पूरा हो ही जाए, बल्कि EMI वाले कुछ समय के लिए ही सही, अपना सपना जी तो लेते हैं, जबकि ऐसे लोगों का सपना कई बार सपना ही रह जाता है।
क्योंकि कई बार ये जिन सपनों को पूरा करने के लिए Saving कर रहे होते हैं, वे सपने भी समय के साथ महंगे होते जाते हैं, परिणामस्वरूप जब ये Cash Payment करने के लिए पर्याप्त Saving कर चुके होते हैं, तब तक उनके सपने की कीमत इतनी बढ़ चुकी होती है कि उन्हें फिर से और Saving करने की जरूरत पड़ जाती है और वे अपने उस सपने को पूरा करने की दौड़ में ही लगे रहते हैं और उनका सपना परछाई की तरह उनसे आगे-आगे भागता रहता है।
हालांकि जिस तरह से EMI पर चीज खरीदने का अपना Interest Cost होता है जिसके बदले में Advance Time Benefit मिलता है, ठीक उसी तरह से Cash Payment कर के चीज खरीदने का भी अपना अलग Cost है।
क्योंकि अगर कोई चीज पाने के लिए उसका पूरा Payment Cash में कर दिया जाता है, तो उस Cash को Invest करके प्राप्त किए जा सकने वाले सम्भावित Higher Investment Return के Benefit को छोड़ने के लिए तैयार होना पड़ता है जिसे Opportunity Cost भी कहते हैं। लेकिन ये Opportunity Cost दूसरे रूप में हमें EMI भरने की हर महीने की Tension से छुटकारा भी दे देता है।
इसलिए Cash Payment करके हम मानसिक शान्ति के रूप में जो Freedom की Satisfaction प्राप्त करते हैं, वो Time व Location की Freedom का Satisfaction Cost है। अब या तो पूरा Payment Cash में करके EMI की माथापच्ची से मुक्ति पा लो और Higher Investment Return की Opportunity को छोड़ दो या फिर चीजों को EMI पर लेकर Advance Time खरीद लो और हर महीने EMI की Tension को स्वीकार करो।
क्योंकि जितना Payment Cash में दिया जा रहा है, उसी Amount को किसी ज्यादा बेहतर जगह Invest करके उससे भी ज्यादा Return कमाया जा सकता है, जितना EMI पर चीज खरीदकर उस पर Extra Interest Pay किया जा रहा है। लेकिन इस स्थिति में EMI के माध्यम से हर महीने एक निश्चित Amount Compulsory रूप से Pay करने का Risk भी लेना पड़ेगा जो कि उस स्थिति में मानसिक अशान्ति का कारण बन सकता है, जबकि आपके पास किसी कारणवश EMI Pay करने का पैसा भी न हो।
एक स्थिति ये है कि हम चीज को खरीदें ही नहीं। उस स्थिति में हमें चीज से मिलने वाले Comfort को Cost के रूप में Pay करना होगा, जिसके बदले में हमें Better Return on Investment मिल सकता है। लेकिन केवल पैसा इकट्ठा करने का सुख किसी तरह का कोई Comfort नहीं दे सकता। उस स्थिति में पैसा चाहे जितना इकट्ठा हो जाए, मानसिक संतुष्टि नहीं मिल सकती और अन्त में जब शरीर में ज्यादा Energy नहीं बचता, तब जिन्दगीभर Uncomfortable Life जीकर इकट्ठा किया गया ये पैसा भी फालतू लगने लगता है।
इसलिए अब आपको ही तय करना है कि आप किस स्थिति में ज्यादा Comfortable हैं। हर महीने EMI भरने का Risk लेकर वांछित इच्छा को आज पूरा करना आपको ठीक लगता है, क्योंकि आपकी Monthly Earning Government Service जितनी Safe है कि आप हर महीने आसानी से EMI Pay कर सकते हैं।
या फिर आप Private Job में हैं, जहां किसी भी समय आपको Job से निकाला जा सकता है। इसलिए आप सम्पूर्ण Cash Payment करके ही अपनी वांछित चीज को खरीदने में ज्यादा Comfortable हैं, क्योंकि आप EMI भरने की मानसिक अशान्ति लेना नहीं चाहते, फिर भले ही उस Cash Payment से होने वाला Opportunity Cost कितना भी क्यों न हो। आपके लिए मानसिक शान्ति ज्यादा महत्वपूर्ण है।
अपनी किसी इच्छापूर्ति के लिए आप क्या Cost Pay करना चाहते हैं, ये चुनाव आपका है। इसलिए EMI या Cash Payment में से वही तरीका चुनिए, जिसके लिए आप Comfortable हैं और चुनाव हमेंशा अपनी मानसिक शान्ति को केंद्र में रखकर होना चाहिए क्योंकि आखिर में हम सभी हमारे ज्यादातर Decisions मानसिक शान्ति के आधार पर ही लेते हैं और अन्त में किसी भी कीमत पर हम हमारी मानसिक शान्ति को ही सबसे ज्यादा महत्व देते हैं।
इसलिए यदि आप Secure Service जैसे कि Government Job में हैं, तो आपके लिए EMI अपनी इच्छाऐं पूरी करने का ज्यादा बेहतर रास्ता है क्योंकि आपके वर्तमान और भविष्य दोनों की चिन्ता सरकार करती है। वह आपके वर्तमान को अच्छा बनाए रखने के लिए आपको पर्याप्त Salary देती है, और आपके भविष्य को अच्छा बनाए रखने के लिए न केवल समय-समय पर आपकी Salary और पर को बढ़ाती भी रहती है, साथ ही आपके Retirement के लिए Compulsory Saving भी करवाती रहती है और अन्त में आपके Retirement के बाद आपको Pension के रूप में जिन्दगीभर कम से कम आधी Salary भी देती रहती है।
और इसीलिए Secure Job वालों को EMI पर चीज खरीदने के लिए Government Institutions जैसे कि Banks द्वारा काफी काफी आसानी से और काफी Low Interest Rate पर Finance भी मिल जाता है क्योंकि उन्हें भी पता है कि जब तक आपकी सरकारी नौकरी है, तब तक उनके Finance किए गए Amount के मिल जाने की पूरी सम्भावना है और बैंक भी उन्हीं लोगों को Loan देते हैं, जिनसे उन्हें पूरा Loan Interest सहित Recover हो जाने की पूरी सम्भावना हो।
जबकि यदि आप Insecure Service जैसे कि Private Job में हैं या Non-Tax Payer Category के Self Employed हैं, तब उस स्थिति में आपके लिए ज्यादा बेहतर यही होता है कि आप अपनी इच्छाओं को थोड़ा Postpone करें और अपनी वांछित चीज को प्राप्त करने के लिए Saving करें तथा जब आपके पास पर्याप्त Saving हो जाए, तब अपनी वांछित चीज को Opportunity Cost की परवाह किए बिना, Cash Payment से खरीदें।
क्योंकि आप जैसे Insecure Earning वाले लोगों को किसी Government Institutions जैसे कि Banks से Loan मिलना आसान नहीं होता, बल्कि ये कहें कि आप जैसे लोगों को Bank Loan मिलता ही नहीं है, तो गलत नहीं होगा। इसलिए EMI पर चीजें खरीदने के लिए आपको NBFCs जैसे Private Finance Companies के पास Finance करवाना होगा और इन Private Finance Companies का Interest Rate काफी ज्यादा होता है। इस स्थिति में यदि आपने Private Finance से EMI पर कोई चीज ले भी लिया, तो आप उसे Enjoy नहीं कर पाऐंगे क्योंकि हर समय आपको उसकी EMI भरने की चिन्ता ही लगी रहेगी।
जबकि यदि आप अपनी वांछित चीज को Cash Payment करके ही खरीदते हैं, तो उस स्थिति में आप अपनी खरीदी गई वांछित चीज को Enjoy भी कर पाऐंगे, क्योंकि आपको उस चीज के लिए हर महीने दी जाने वाली EMI की चिन्ता नहीं होगी। परिणामस्वरूप आपका जितना भी Surplus होगा, आप उससे अपनी खरीदी गई चीजों के माध्यम से अपनी जिन्दगी को चिन्तामुक्त रहते हुए बेहतर तरीके से Enjoy भी कर पाऐंगे।
इन दोनों Categories के अलावा एक तीसरी Category के लोग, वे लोग होते हैं, जो किसी न किसी तरह का छोटा-मोटा Business करते हैं या High-Earning Professionals जैसे कि CA, Doctors, Engineers, Lawyers आदि होते हैं और Government को काफी Tax-Pay करते हैं।
ऐसे Tax Payer लोगों को हमेंशा EMI पर ही चीजें खरीदनी चाहिए और हर चीज को अपनी Balance-Sheet में Business Purpose या Professional जरूरत के रूप में Show करना चाहिए। ऐसा करके वे काफी ज्यादा Tax छूट प्राप्त कर लेते हैं क्योंकि उस स्थिति में वे चीजें तो Personal Use के लिए खरीदते हैं, लेकिन उसे Business Expenses के रूप में Show करके बहुत सारा Tax बचा लेते हैं। परिणामस्वरूप सबसे ज्यादा नई और महंगी चीजें इसी Category के लोग खरीदते हैं, जिन्दगी को सबसे ज्यादा यही लोग Enjoy भी करते हैं और सबसे कम Tax Pay करते हैं।
साथ ही इस Category के लोगों पर सरकार की दयादृष्टि हमेंशा बनी रहती है क्योंकि ये लोग Employment Generate करते हैं, जिससे सरकारों का Employment Record अच्छा दिखाई देता है। इस Category के लोगों से सरकारों को समय-समय पर Directly और Indirectly बहुत फायदा होता रहता है इसलिए इस Category के लोगों को कोई भी सरकार ज्यादा देर तक Ignore नहीं कर सकती। Market में अगर मंदी आती है, तो इस Category के लोगों को ही सबसे ज्यादा Incentives दिए जाते हैं, Tax में छूट दी जाती है, राहत Package दिए जाते हैं।
इसलिए आप चाहे Government Service में हों, Private Job में हों या Self Employed हों, आपको Side Income के रूप में किसी न किसी तरह का Entrepreneurship जैसा कुछ न कुछ जरूर Setup करना चाहिए, ताकि आप अपने प्रत्येक Enjoyment को Business Expense के रूप में Claim कर सकें और दुनियाँ की हर Best Possible चीज को Least Possible कीमत पर Enjoy कर सकें साथ ही सरकारों के दुलारे भी बने रह सकें।
उम्मीद है, EMI vs Cash Payment – Cost of Freedom for Satisfaction का ये Article आपके लिए उपयोगी व ज्ञानवर्धक रहा होगा और अपनी वर्तमान Earning Status (Government Service, Private Job, Self-Employed, Business Owner) के आधार पर आप बेहतर निर्णय लेने की स्थिति में होंगे कि आपके लिए अपनी वांछित चीज को EMI पर खरीदना पर ज्यादा बेहतर है या 100% Cash Payment करके खरीदना पर ज्यादा बेहतर है। अगर ये पोस्ट आपको अच्छा लगा हो, तो Like कीजिए और अपने Friends and Followers के साथ Share कीजिए। निश्चित रूप से ये Post उनके Decision Making में भी सहायक होगा।